मान्यता देने से लेकर विधायक निधि की धनराशि देने तक मिली अनियमिता


आजमगढ़। मण्डलायुक्त कनक त्रिपाठी के निर्देश पर हुई विद्यालय की जॉंच में जहॉं विद्यालय को मान्यता देने में की गयी कई गंभीर अनियमिततायें उजागर हुईं । वहीं तथ्यों को छिपाकर विधान मण्डल क्षेत्र विकास निधि के अन्तर्गत उक्त विद्यालय को 20 लाख रुपये अनियमित ढंग से दिये जाने का प्रकरण भी प्रकाश में आया। मण्डलायुक्त श्रीमती त्रिपाठी ने बरती गयी इन अनियमितताओं पर सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए सभी संलिप्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने का निर्देश दिया। इसके अलावा विधायक निधि से दी गयी 20 लाख की धनराशि को भी सम्बन्धित विद्यालय के प्रबन्धक से भू-राजस्व की भॉंति वसूल किए जाने का भी निर्देश दिया है। ज्ञातव्य हो कि गत दिवस तहसील मार्टिनगंज अन्तर्गत ग्राम नर्वे निवासी एक व्यक्ति ने मण्डलायुक्त को इस आशय का शिकायती प्रार्थना पत्र दिया था कि तहसील सदर के अन्तर्गत ग्राम बशीरपुर स्थिति रामनरेश उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रबन्धक अग्रसेन सिंह द्वारा ग्राम कयामपुर स्थिति अपना दूसरा स्कूल दिखाकर जाल फेरब करके वर्ष 2014-15 में हाईस्कूल की मान्यता ली गयी है। शिकायती प्रार्थना पत्र में प्रबन्धक द्वारा फरेब करके विधायक निधिक से 20 लाख रुपये की शासकीय अनुदान की धनराशि को भी हड़पे जाने की उल्लेख करते हुए कई अन्य अनियमितताओं को इंगित किया था।  मण्डलायुक्त कनक त्रिपाठी ने प्रार्थना पत्र में उल्लिखित तथ्यों की जॉंच के सम्बन्ध में मुख्य विकास अधिकारी, संयुक्त शिक्षा निदेशक, उपजिलाधिकारी सदर एवं तहसीलदार सदर की संयुक्त समिति गठित कर प्रकरण के सम्बन्ध में अपनी स्पष्ट आख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। जॉंच समिति द्वारा मण्डलायुक्त को उपलब्ध कराई गयी संयुक्त आख्या में अवगत कराया गया कि रामनरेश उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बशीरपुर को वर्ष 2014-15 में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक हरिश्चन्द्र नाथ की संस्तुति पर दी गयी है। जॉंच के समय मौके पर मात्र 4 कक्ष बरामदा सहित बने हुए मिले, जबकि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की मान्यता के लिए 10 कक्ष, खेल का मैदान आदि होना आवश्यक है। मौके पर पाये गये कक्षों को देखने से स्पष्ट होता है कि कक्ष की छतें एक माह के अन्दर डाली गयी है तथा यह भी पाया गया कि मान्यता के लिए बेलइसा कयामपुर की बिल्डिंग दिखाई गयी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जिस समय विद्यालय की मान्यता दी गयी है उस समय उक्त गाटे पर कोई भी भवन नहीं था। मान्यता की अनुरक्षित पत्रावली में डीआरडीए के अवर अभियन्ता अशोक कुमार तिवारी द्वारा विद्यालय बने होने, पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था आदि होने का गलत ढंग से निर्गत प्रमाण पत्र भी लगा था, जिसके लिए अवर अभियन्ता श्री तिवारी को कारण बताओ नाटिस जारी की गयी है। इसके अलावा मान्यता देने से पूर्व नियमानुसार जिला विद्यालय निरीक्षक, प्रधानाचार्य जीजीआईसी एवं उपजिलाधिकारी द्वारा स्थल का भ्रमण भूमि, स्वामित्व प्रमाणन, आख्या आदि संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित होना चाहिए था, परन्तु कायदे कानून को सिरे से नजर अन्दाज कर तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक हरिश्चन्द्र नाथ एवं उनके कार्यालय के पटल सहायक अवधेश सिंह ने कई अनियमिततायें करते हुए मिली भगत करके मान्यता हेतु यूपी बोर्ड को संस्तुति भेज दी है, जिसके कारण पटल सहायक अवधेश सिंह को निलम्बित करने तथा तत्कालीन डीआईओएस हरिश्चन्द्र नाथ के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु संस्तुति शासन को भेज दी गयी है। इसके अलावा उक्त विद्यालय की मान्यता हेतु लेखपाल, राजस्व निरीक्षक एवं तत्कालीन तहसीलदार का जाली, फर्जी हस्ताक्षर बनाकर कूटरचना करने और धोखाधड़ी करने के कारण तहसीलदार सदर द्वारा विद्यालय के प्रबन्धक के विरुद्ध थाना कोतवाली में विभिन्न धाराओं के अन्तर्गत एफआईआर भी दर्ज कराई गयी है।


      उक्त विद्यालय को विधायक निधि से वर्ष 2015 में 5-5 लाख की कि 4 किस्तों में कुल 20 रुपये दिये जाने के सम्बन्ध में जॉंच रिपोर्ट में उल्लिखित किया गया है कि डीआरडीए के सहायक लेखाकार, लेखाकार द्वारा सही तरीके परीक्षण नहीं किया गया, बल्कि सदस्य विधान परिषद कैलाश यादव की अनुसंशा के 23 दिन पूर्व ही धनराशि अवमुक्ति के सम्बन्ध में पत्रावली तैयार कर तत्समय डीआरडीए में कार्यरत सहायक लेखाकार अशोक कुमार श्रीवास्तव एवं लेखकार शिव मोहन सिंह द्वारा विद्यालय के पक्ष में प्रथम किस्त अवमुक्त कर दी गयी है, जिसके लिए सहायक लेखाकार को निलम्बित कर दिया गया है तथा लेखाकार के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही किये जाने हेतु निदेशक आन्तरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग को संस्तुति भेज दी गयी है। इसके अलावा प्रकरण संलिप्त पाये जाने पर डीआरडीए के सहायक अभियन्ता एनबी सिंह के विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्यवाही हेतु सम्बन्धित विभाग को संस्तुति भेजी गयी है। इसी प्रकार रामनरेश स्मारक पूर्व माध्यमिक विद्यालय क्यामपुर बेलइसा को भी मान्यता दिये जाने के समबन्ध में तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी पल्हनी एवं उप बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रथम द्वारा विद्यालय प्रबन्धक उग्रसेन सिंह से दुरभिसंधि कर भवनध्भूमि का भू-स्वामित्व होने के साक्ष्य का बिना परीक्षण किये ही संस्तुति एवं मान्यता दिये जाने का दोषी मानते हुए सक्षम स्तर से इन तीनों के विरुद्ध भी कार्यवाही किये जाने की संस्तुति की गयी है।