कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत 14,000 से अधिक मुकदमें वापस लिये गए।
संबंधित पक्ष लेनदेन से संबंधित प्रावधानों को विवेकसंगत बनाया गया है।
कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत दंडनीय प्रावधानों के वैधीकरण का चरण-प्रारंभ
प्रथम राष्ट्रीय सीएसआर पुरस्कार प्रदान किये गए।
मजबूत दिवाला और दिवालियापन ढांचा संस्थान बनाने के लिए बेहतर कदम उठाए गए, जिसमें दिवाला और दिवालियापन संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019 लोकसभा में 12 दिसंबर, 2019 को प्रस्तुत किया गया। विधेयक के उद्देश्य और कारण के अनुसार कंपनी को कॉरपोरेट दिवाल समाधान प्रक्रिया या परिसमापन में जाने पर कुछ वित्तीय कर्जदाताओं के निश्चित वर्ग द्वारा दुरुपयोग की संभावना को रोकने के लिए कॉरपोरेट देनदारों को अंतिम मील के वित्तपोषण के लिए पुनर्भुगतान में प्राथमिकता देने की आवश्यकता महसूस की गई। अभियोजन से कॉरपोरेट कर्जदारों को छूट प्रदान करने और कॉरपोरेट कर्जदार की संपत्ति के विरूद्ध कार्रवाई करने तथा कुछ शर्तों को पूरा करने पर सफलतापूर्वक समाधान की आवश्यकता भी महसूस की गई।
दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2019 संसद द्वारा पारित किया गया और यह 16 अगस्त 2019 से प्रभावी है। संशोधित विधेयक में मामलों की समय से निपटान, संपत्तियों के मूल्य को अधिकाधिक करने के लिए कॉरपोरेट पुनर्संरचना में लचीलापन ऋणदाताओं की सर्वोच्चता सुरक्षित रखना और घर खरीददारों के वोटिंग गतिरोध को समाप्त करने का प्रावधान है।
15 नवम्बर, 2019 को दिवाला और दिवालियापन (वित्तीय सेवा प्रदाताओं की दिवाला और परिसमापन कार्यवाहियों तथा न्यायिक निर्णय प्राधिकार) नियम, 2019 जारी किये गए। इन नियमों में बैंकों को छोड़कर वित्तीय सेवा प्रदाताओं (एफएसपी) की दिवाला और परिसमापन कार्यवाहियों के लिए सामान्य रूपरेखा प्रदान की गई है। दिवाला और परिसमापन कार्यवाहियों के उद्देश्य के लिए ऐसे एफएसपी या एफएसपी की श्रेणियों में लागू होने वाले नियम अनुच्छेद 227 के अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा उचित नियामकों के परामर्श से समय-समय पर अधिसूचित किए जाएंगे। इन नियमों का आवश्यक उद्देश्य बैंकों के वित्तीय समाधान तथा प्रणालीबद्ध रूप से अन्य महत्वपूर्ण वित्तीय सेवा प्रदाताओं से निपटने के लिए संपूर्ण विधेयक (एफआरडीआई विधेयक) पारित करने से पहली की आवश्यक स्थिति में अंतरिम व्यवस्था बनाना है।
आईबीसी के अनुच्छेद 2 की धारा (ई) की अधिसूचना 15 नवंबर, 2019 को लागू की गई और 01 दिसंबर, 2019 से लागू किया गया। इसके माध्यम से आईबीसी के अंतर्गत कॉरपोरेट कर्जदारों के व्यक्तिगत जमानतियों के दिवालियापन को आईबीसी के दायरे में लाया गया है। आईबीसी के अंतर्गत व्यक्तिगत जमानतियों के दिवाला समाधान और दिवालियापन कॉरपोरेट कर्जदारों के दिवालिया समाधान का पूरक होगा और इससे व्यक्तिगत जमानती और कॉरपोरेट जमानती बराबरी के स्तर पर आ जाएंगे। इससे उधारी अनुशासन कायम होगा और बैंकिंग संबंधों में सांस्कृतिक बदलाव को प्रोत्साहन मिलेगा।
दिवाला और दिवालियापन (व्यक्तिगत जमानतियों से लेकर कॉरपोरेट कर्जदारों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया के न्यायिक निर्णय प्राधिकार) नियम
15 नवंबर, 2019 को दिवाला और दिवालियापन (व्यक्तिगत जमानतियों से लेकर कॉरपोरेट कर्जदारों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया के न्यायिक निर्णय प्राधिकार) नियम, 2019 जारी किए गए और इसे 1 दिसंबर, 2019 से लागू किया जाएगा। चरणबद्ध तरीके से लागू की जा रही दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अंतर्गत व्यक्तियों के लिए समाधान का प्रावधान नियमों में है। आईबीसी में कॉरपोरेट व्यक्तियों, पार्टनरशिप फर्मों तथा व्यक्तियों के दिवाला का समयबद्ध समाधान की व्यवस्था है ताकि ऐसे व्यक्तियों की परिसम्पत्तियों के मूल्यों को अधिक से अधिक किया जा सके, उद्यमिता तथा ऋण उपलब्धता को प्रोत्साहित किया जा सके और सभी हितधारकों के हितों को संतुलित बनाया जा सके। कॉरपोरेट प्रक्रियाओं (दिवाला समाधान, फास्ट ट्रैक समाधान, परिसमापन तथा स्वैच्छिक परिसमापन) से सम्बंधित आईबीसी के प्रावधान लागू कर दिये गये हैं। इन नियमों में दिवाला समाधान प्रारंभ करने और सीडी के व्यक्तिगत जमानतियों के विरूद्ध दिवालियापन प्रक्रिया प्रारंभ करने की व्यवस्था है। नियमों में ऐसे आवेदनों की वापसी, ऋणदाताओं से दावे आमंत्रित करने के लिए सार्वजनिक नोटिस के फार्म आदि का भी प्रावधान है।
दिवाला और दिवालियापन संहिता में दो बार 2018 में संशोधन हुए। इसका उद्देश्य समाधान प्रक्रिया में चल रही कंपनियों का फिर से नियंत्रण प्राप्त करने से आवांछित व्यक्तियों को अयोग्य घोषित करना तथा घर खरीदने वालों और सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमियों के हितों को संतुलित बनाना ऋणदाताओं की समिति की वोटिंग सीमा को घटाकर परिसमापन के ऊपर समाधान को प्रोत्साहित करना और समाधान आवेदनकर्ताओं की पात्रता से संबंधित प्रावधानों को विवेकसंगत बनाना है।
अब तक दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (आईबीसी) की उपलब्धियों में
दायर 21,136 आवेदनों में से :
कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत 14,000 से अधिक मुकदमें वापस लिये गए