बीमारीको परोसता महिला चिकित्सालय कोरांव


कोरांव, प्रयागराज। जहां सरकार एक ओर महिलाओं को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए कटिबद्ध है।पचास प्रतिशत आरक्षण देने की बात करते नहीं थकती वहीं दूसरी ओर कोरांव तहसील के महिलाओं को50 पैसे की दवा भी उपलब्ध कराने में अक्षम साबित हो रही है। विकास खण्ड कोरांव में कुल 115 गांव सभाएं है। जहां महिलाओं के इलाज के लिए एक महिला चिकित्सालय है, लेकिन वहां कभी महिला चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हुई। अस्पताल के चारों तरफ गन्दगी का अम्बार लगा हुआ है, महिलाओं के इलाज का भार इसी महिला चिकित्सालय पर है। किन्तु वर्तमान में यह अराजकतत्वों का अड्डा बन हुआ है, खिड़कियां व दरवाजे टूटे पड़े हैं और अतिक्रमणकारियो का बोलबाला है। सफाई का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं है। वर्तमान में एक फार्मेशिष्ट एक आया वो सफाई कर्मी भी नहीं है,जब मर्जी हुई आए नहीं तो ताला लटकता रहता है।
जबकि कोरांव मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है। जहां कि अधिकांश जनता गरीब आदिवासियों की है, जिनकी जीविका का साधन मेहनत मजदूरी है। जिससे किसी तरह से दो जून की रोटी जुटा लेते हैं, लेकिन उससे आगे बढ़कर सुविधाओं को प्राप्त कर पाना नामुमकिन साबित हो कर रह जाता है। विभागीय अधिकारी महिला चिकित्सक की नियुक्ति करना उचित नहीं समझते,जिसका परिणाम होता है शहर पहुंचने से पहले ही वे काल के गाल में समा जाती है।जबकि इस बावत क्षेत्र की जनता कई बार तहसील दिवस व चिकित्सा विभाग के अधिकारियों सहित विधायक से भी महिला चिकित्सालय में महिला चिकित्सक की नियुक्ति और सुख सुविधाओं की मांग की किन्तु हाथ खाली ही लगा।
इन्सेट-
कूड़े व गन्दगी का ढेर ही मिलता है
अस्पताल की वास्तविक स्थिति तो मौके पर जाकर देखी जा सकती है, वहीं दूसरी ओर समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक डॉक्टर के0 बी0 सिंह का कहना है कि महिला चिकित्सालय कोरांव में महिला चिकित्सक कि नियुक्ति हो चुकी है, लेकिन महिला चिकित्सक की बैठने की समुचित व्यवस्था न होना अव्यवस्था का प्रमुख कारण है, जिससे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में बैठकर महिला मरीजों का महिला चिकित्सक इलाज किया जाता है।