हाल ही में 11 अगस्त को पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स द्वारा जारी महंगाई के आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान में महंगाई छलांगें लगाकर बढ़ रही है। जुलाई 2019 में पाकिस्तान में महंगाई दर 10.34 फीसदी रही जो कि पिछले साल जुलाई 2018 में 5.86 फीसदी थी। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से पाकिस्तान में महंगाई बढ़ी है। इस समय दुनिया के अर्थ विशेषज्ञ यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि 5 अगस्त को भारत द्वारा अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ कारोबारी संबंध तोड़कर स्वयं के लिए नुकसानदेह कदम उठाया है।
पिछले एक सप्ताह में पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ व्यापार बंद करने से भारत से आयातित सामान के दाम पाकिस्तान में बहुत बढ़ गए हैं और पाकिस्तान के लोग महंगाई की त्रासदी का सामना कर रहे हैं। जबकि पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ कारोबारी संबंध तोडऩे से भारत में कोई महंगाई नहीं बढ़ी है। वैसे भी भारत-पाक कारोबार का आकार बहुत छोटा है और भारत पाकिस्तान से बहुत सीमित मात्रा में ही आयात करता रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच 2018-19 में द्विपक्षीय व्यापार कारोबार 17766 करोड़ रुपए का हुआ, जबकि भारत ने दुनिया के साथ 58.51 लाख करोड़ रुपए का कारोबार किया। यानी पाकिस्तान के साथ भारत का कारोबार भारत के कुल वैश्विक कारोबार का महज 0.3 फीसदी रहा। अब यदि पाकिस्तान ने भारत पर युद्ध थोपा तो इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी।
यह भी उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान द्वारा पुलवामा आतंकी हमले के बाद पिछले छह महीनों में भारत ने पाकिस्तान पर जो आर्थिक प्रहार किए गए हैं, उनसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है। 15 फरवरी को भारत द्वारा पाकिस्तान को दिया गया सर्वाधिक तरजीह वाले देश (एमएफएन) का दर्जा वापस लिया गया है। इसी तरह 17 फरवरी को पाकिस्तान से आयात होने वाली सभी वस्तुओं पर 200 फीसदी का आयात शुल्क लगा दिए जाने से पाकिस्तान से भारत को आयात मुश्किल हो गया है। स्थिति यह है कि भारत के आर्थिक प्रतिबंधों के बाद पाकिस्तान को भारत से जाने वाली वस्तुएं जैसे जैविक रसायन, बॉयलर, प्लास्टिक, चीनी, कॉफी चाय, दवाई, लोहा-स्टील के सामान आदि की कीमतें पाकिस्तान में बहुत बढ़ गई हैं। साथ ही महंगाई दर 10 फीसदी से अधिक पाई गई है। यह छह माह पहले सात फीसदी के लगभग थी। लेकिन भारत पर पाकिस्तान से आने वाली विभिन्न वस्तुओं जैसे ताजे फल, सीमेंट, खनिज, तैयार चमड़ा, कपास, खेल का सामान आदि के आयात घटने का कोई दबाव नहीं पड़ा है। चूंकि जो वस्तुएं पाकिस्तान से भारत आती हैं, वे अब सरलता और किफायती दामों पर अन्य देशों से भारत आ रही हैं। भारत में महंगाई नियंत्रित है। यह चार फीसदी के लगभग ही है।
इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भारी मुश्किल में है और दिवालिया जैसी स्थिति में है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि पाकिस्तान के पास कर्ज की किस्त चुकाने के लिए डॉलर नहीं बचे हैं। पाकिस्तान की विकास दर नौ साल के निचले स्तर पर चार फीसदी पर पहुंच गई है और विदेशी मुद्रा भंडार 13 अरब डॉलर से भी कम है। पाकिस्तान एक बार फिर बेलआउट के लिए अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। दिसंबर 2017 से अब तक पाकिस्तानी रुपये का चार बार अवमूल्यन हो चुका है। पाकिस्तान की मुद्रा एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान का रुपया 150 के पार चला गया है।
जबकि दूसरी ओर भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से बहुत बेहतर स्थिति में है। भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से करीब 9 गुना बड़ी है और भारत से निर्यात पाकिस्तान की तुलना में करीब 10 गुना अधिक है। भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहे हैं। इस समय जहां भारत के विदेशी मुद्रा कोष में 425 अरब डॉलर संचित हैं वहीं सात फीसदी से अधिक विकास दर के साथ भारत दुनिया का सबसे अधिक विकास दर वाला देश है और भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था के आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के संकेतक हैं और इस आधार पर अर्थव्यवस्था युद्ध की आर्थिक लागत का सामना करने में पाकिस्तान की तुलना में अधिक सक्षम है।
निस्संदेह एक ऐसे समय में जब पाकिस्तान भारत द्वारा अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद यदि भारत पर युद्ध थोपता है तो यह पाकिस्तान का आत्माघाती कदम होगा। इस समय भारत का वार्षिक रक्षा बजट पाकिस्तान से पांच गुना ज्यादा है। रक्षा विशेषज्ञों का यह कहना है कि जिस तरह बहुत बड़े क्षेत्र में विस्तृत पैमाने पर भारत-पाक युद्ध छिडऩे की आशंका बढ़ रही है, उसमें प्रत्येक देश के लिये 5 से 10 हजार करोड़ रुपए प्रति सप्ताह से भी अधिक व्यय हो सकता है। इतना भारी भरकम खर्च पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था की मुश्किलें बहुत ज्यादा बढ़ा देगा।
यदि आर्थिक रूप से दिवालिया पाकिस्तान भारत पर युद्ध थोपता है तो भारत द्वारा पाकिस्तान की आर्थिक मुश्किलें बढ़ाने के लिए नदियों के पानी को भी आर्थिक प्रहार का औजार बनाया जा सकता है। भारत ने 21 फरवरी को निर्णय लिया है कि वर्ष 1960 में हुए सिंधु जल समझौते के कारण पाकिस्तान को जो लाभ हो रहे हैं, उन्हें भी रोका जाएगा। भारत के इस निर्णय से पाकिस्तान चिंतित हो गया है। एक मार्च को पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र संघ को पत्र लिखकर कहा है कि भारत द्वारा पानी को हथियार के रूप में उपयोग करने से पाकिस्तान के सामने पीने के पानी व कृषि व उद्योग के लिए संकट खड़ा होगा। यदि भारत अब आतंकी हमले और शत्रुता के मद्देनजर सिंधु जल समझौते को तोड़ दे तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी।
इन सबके अलावा पाकिस्तान से युद्ध की चुनौती के बीच भारत पाकिस्तान रहित एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क) के साथ-साथ पाकिस्तान रहित साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया (साफ्टा) के लिए म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान को मिलाकर गठित समूह बे ऑफ बंगाल इन्हीशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टर टेक्नीकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (बिम्सटेक) की संभावना को आगे बढ़ा रहा है, उससे पाकिस्तान का पड़ोसी देशों के साथ कारोबार घटेगा। यह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती होगी।
यदि पाकिस्तान भारत पर कोई युद्ध थोपता है तो ऐसा युद्ध पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को चौपट करने वाला सिद्ध होगा। अब अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद एक ओर जम्मू-कश्मीर में आर्थिक विकास के नए लाभप्रद कदमों की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर कश्मीर मामले के लिए विश्व पटल पर सतर्क और स्पष्ट कूटनीति के साथ आगे बढऩे की जरूरत है।
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युद्ध की आर्थिकी नहीं झेल पाएगा पाक