कविता की टीस और फायदे

 


 


 


 




शायरी शुरू की तो पिताजी ने बड़ा डांटा। बोले-'बरखुरदार कोई अच्छा काम करो। यह बीमारी ठीक नहीं, लत लग गयी तो छूटेगी नहीं।Ó पिताजी के कथन की अनदेखी करके मैं गुपचुप शायरी करने लगा। कवितायें लिखने लगा। प्रेमभरी वे कवितायें आज भी मेरे पास सुरक्षित हैं। एक दिन पिताजी ने मुझे फिर कविता करते रंगे हाथों पकड़ लिया। आगबबूला हो गये। बोले-'तुम अभी भी यह काम कर रहे हो? मैंने तुम्हें रोका था। बेटा जीवन भर रोओगे, न घर के रहोगे न घाट के। मैं फिर कहता हूं कि कविता से मुंह मोड़ लो। हम खाते-पीते लोग हैं, हमें यह काम शोभा नहीं देता। अभी तुम्हारा शादी-ब्याह भी नहीं हुआ है। कल यह बात फैल गयी तो तुम्हारा विवाह होना मुश्किल हो जायेगा। लिखने का ही शौक है तो सुलेख लिखो, तुम्हारा हस्तलेख भी सुन्दर नहीं है।Ó
मैंने कहा-'पिताजी, कविता मेरी नस-नस में समा गयी है। मुझे नहीं लगता कि मैं इसे छोड़ पाऊंगा। कविता मेरे दिल का चैन है। मैंने इसे छोड़ा तो सब चौपट हो जायेगा।Ó
पिताजी फिर बिगड़े, बोले-'तुम्हारे दिन शुभ नहीं लगते बेटा! यह नशा है। नशा कोई भी हो, खराब ही होता है। मेरी बूढ़ी होती आंखें तुम्हें खुश देखना चाहती हैं। यदि तुमने इसे छोड़ा तो मैं चैन से मर सकूंगा। कविता हमारे बाप-दादों ने नहीं लिखी, तुम्हें यह मर्ज कैसे लग गया, मेरी समझ से परे है।Ó
मैं बोला-'पिताश्री यह लाइलाज मर्ज है। यह मैंने खुद पाला है। इसलिए दण्ड का भागीदार भी मैं ही बनूंगा। आप चिन्ता न करें, कविता बड़े काम की चीज है। मैंने इसे यों ही नहीं अपनाया है। इसके बड़े फायदे हैं।Ó
'फायदे! कविता के भला क्या फायदे हो सकते हैं?Ó पिताजी ने पूछा।
मैंने कहा-'कवि से अनचाहे लोग नहीं मिलते हैं। खासतौर पर मेहमानों का आवागमन प्रतिबंधित रहता है। आने वाले को पता होता है कि उस घर में एक कवि है, जिसके यहां गये तो खैर नहीं। मैंने ऐसी-ऐसी बोरपूर्ण कवितायें लिख रखी हैं कि उनका पाठ करने पर मनुष्य ही नहीं, पशु तक भी सामने नहीं टिक सकते हैं। आप कहें तो एक कविता बतौर बानगी आपके सामने पेश करूं?Ó
पिताजी सकपका गये, बोले-'देखो बेटा, तुमने कवितायें लिख लीं, वो तो ठीक है, लेकिन उसे घर में इस्तेमाल करना ठीक नहीं है-तुमने जो उबाऊ कवितायें रची हैं, उनका प्रयोग अतिथियों के आगमन पर ही उचित रहेगा। इसलिए अनचाही भीड़ को घर में आने से नियंत्रित करने का कविता, नायाब नुस्खा बकौल तुम्हारे पास है। तो फिर ठीक है, तुम कवितायें जमकर लिखो